हमारा जन्म बिहार की बक्सर पावन भूमि के
श्री कमरपुर नामक गॉव में
कुशवाहा परिवार
में हुआ।
दादाजी एवं दादीजी के
सानिध्य में रहने और घर में
भक्ति का माहौल रहने के
कारण बचपन में ही मात्र
12 वर्ष की अल्पआयु में
ही हमारे हृदय में भगवान
श्री राम के
प्रति प्रेमभाव जागृत
हो गया।
बचपन में दादाजी के
द्वारा भगवान
की करुणा, उदारता और
भक्त के प्रति अनन्य प्रेम
से जुड़ी कहानियां सुनकर
हमारे मासूम और निश्चल
कोमल हृदय में
भगवान के प्रति दृढ़
विश्वास
बढ़ता चला गया।
और यही प्रेमभाव,
भक्तिभाव मात्र 12 वर्ष
की छोटी आयु मे ही श्री राम चरित दास जी महराज जी से शिक्षा और दीक्षा ली लोगो कि कहना है कि श्री हनूमत धा म कमरपुर के प्रथम GURU पूणिंमा के दिन सबसे पहले तूमे दीक्षा दीये इसलिए प्रथम शिष्य हुए लेकिन मै उनका तीसरा शिष्य हूँ ।
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